Monday, 4 November 2013

राहत की राह से खुशियों की ओर लौटता जीवन

अलकनंदा और मंदाकिनी की धार टूट चुके घरों और दिलों को वात्सल्य की धारा ने संभाला। दीदी माँ जी के आव्हान पर समाज बंधुओं ने सहयोग दिया और उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग एवं गुप्तकाशी में ‘वात्सल्य सेवा केन्द्रों’ का संचालन आरंभ हुआ। उद्देश्य था आपदा प्रभावितों को हरसंभव सहायता पहुँचाना, अपनों को खो चुकने के दर्द से उन्हें उबारना, निराश्रित बच्चों को सहारा देना, अकेली रह गई बहनों को स्वरोजगार का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वाभिमानपूर्ण स्वावलंबी जीवन देना।

वात्सल्य सेवा केन्द्रों द्वारा हो रहे सेवा कार्यों कि एक झलक
  • उत्तराखंड आपदा पीडि़तों के सहायतार्थ परमशक्ति पीठ द्वारा रूद्रप्रयाग जिले के दो स्थानों ऊखीमठ तथा फाटा में ‘वात्सल्य सेवा केंद्रों’ की स्थापना की गई है।
  •  दो प्रोजेक्ट कार्यालय व राहत सामग्री केंद्र स्थापित किये गए।
  •  आपदा प्रभावित परिवारों के लगभग सौ से अधिक बच्चों को फाटा के ‘वात्सल्य सेवा केंद्र’ में लाया गया, जहां इनके रहने तथा विद्यालयों में जाने की व्यवस्था है। साथ ही 100 से अधिक बच्चों कोे रजिस्ट्रेशन हेतु नामांकित किया गया है।
  •  त्रासदी के शिकार लगभग 42 बच्चों को ऊखीमठ के वात्सल्य सेवा केंद्र में लाया गया साथ ही 50 से अधिक बच्चों के रजिस्ट्रेशन हेतु नामांकित किया गया है।
  •  आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के लगभग 70 बच्चों को ‘वात्सल्य छात्रवृति’ हेतु चयनित किया गया। इस हेतु अन्य 150 बच्चों को भी नामांकित किया गया है।
  •  आपदा प्रभावित परिवारों के महिलाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए रूद्रप्रयाग और आसपास लगभग 10 ‘वात्सल्य स्वावलम्बन प्रशिक्षण केंद्रों’ की स्थापना। इनके माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार में सहायता मिलेगी।
  •  ग्राम बडासू, रामपुर तथा त्रियुगी नारायण के वात्सल्य स्वावलम्बन प्रशिक्षण केन्द्रों पर सिलाई मशीनें (सभी आवश्यक सामग्री के साथ) में उपलब्ध कराई गईं।
  •  वात्सल्य सेवा केंद्रों द्वारा 20 स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।
  •  वात्सल्य सेवा केन्द्रों के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की पे्ररणा से कई विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक स्थानीय प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया और कुछ आगामी प्रतियोगिता के लिए चयनित भी हुए हैं।
  •  आगामी समय में उत्तराखण्ड के लगभग 10 से अधिक अन्य स्थानों पर भी ‘वात्सल्य स्वावलम्बन प्रशिक्षण केन्द्रों’ की स्थापना की योजना है।

Wednesday, 16 October 2013

बच्चों ने किया बच्चों के लिए सहयोग!

बड़े तो हमेशा ही बच्चों के लिए कुछ न कुछ करते हैं लेकिन अचरज तब होता है जब बच्चें बड़ों की तरह काम करें। ऐसे ही कुछ उदाहरण तब देखने को मिले जब बाडमेर निवासियों के साथ-साथ आस्था चैनल के माध्यम से सारा विश्व पूज्या दीदी माँ जी के मुखारविन्द से श्री राम कथा रस का अमृतपान कर रहा था। पूज्या दीदी माँ जी के पावन मार्गदर्शन में यहाँ पर भी वात्सल्य सेवा केंद्र संचालित किए जाने की योजना पर काम चल रहा है। कथा के दौरान सेवा केन्द्र के सहयोगार्थ बहुत से सहयोगियों के द्वारा दान देने की घोषणा की गई। सहयोग की कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण रहा छोटे-छोटे बच्चों द्वारा अपनी गुल्लक की जमा राशि में से केन्द्र हेतु सहयोग
बच्चों ने किया बच्चों के लिए सहयोग!

प्रदान करना। नन्हें बच्चों कान्हा, लक्ष्मी, रधुवीर एवं मास्टर बंकेश ने अपनी-अपनी गुल्लक से शिक्षा निधि में सहयोग की घोषणा करते हुए 6000 रूपए की धनराशि वात्सल्य सेवा केन्द्र, बाड़मेर को प्रदान की। आस्था चैनल पर इस सहयोग को देखकर और प्रेरित होकर सूरत में अनमोल बिड़ला एवं उनकी छोटी बहिन अक्षिता ने भी टेलीफोन पर शिक्षानिधि हेतु 6000 रूपए का अपना सहयोग प्रदान किया इसी क्रम में अक्षय कुमार आर्य ने भी वत्सल निधि में 12000 का सहयोग प्रदान किया। यह एक सुखद आश्चर्य है कि स्कूली बच्चे अपने जेब खर्च से बचाए रूपयों को किसी पारमार्थिक कार्य के लिए भेंट कर दें। निश्चित रूप से ये उनके माता-पिता द्वारा प्रदान किए गए सुसंस्कारों का ही परिणाम है जो आगे चलकर उन्हें एक आदर्श नागरिक के रूप में स्थापित करेगा।

Wednesday, 25 September 2013

कामधेनु गौगृह - वात्सल्य ग्राम का एक संकल्प

“भारत में गाय को पशु नहीं माना गया क्योंकि पषु का पालन मानव को करना पड़ता है किन्तु गाय स्वयं मानव का पालन करती है। गाय प्रकृति द्वारा प्रदत  दूध का भण्डार, जैविक खाद, कीटनाशक दवाओं का प्राकृतिक कारखाना एवं बिना पूंजी का चलता फिरता बिजलीघर है। गाय कभी न रिक्त होने वाला आयुर्वेदिक औषधि का भंडार है। गौमाता मात्र इसी लोक में नहीं बल्कि परलोक की यात्रा में भी वैतरणी को पार कराने वाली नैया है”

गौमाता वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है। गाय ही ऐसा प्राणी है जिसके दूध में वह सारे तत्व उपस्थित होते हैं जो स्त्री के दूध में होते हैं। दुर्भाग्य से जिस किसी भी मानव षिषु को माँ का दूध नहीं मिल पाता, गौदुग्ध ही उसके जीवन को आधार देता है। षारीरिक पुष्टि और बुद्धि की वृद्धि हेतु भी गाय के दूध को वैज्ञानिक आधार पर सर्वश्रेष्ठ माना गया है। न केवल दूध बल्कि उसके गौमूत्र एवं गोबर भी मानव जीवन एवं प्रकृति के लिए बहुमूल्य हैं। पौराणिक ग्रन्थों में भी गौसेवा को मोक्षदाता कर्म माना गया है।
    
वात्सल्य ग्राम, वृंदावन के संदर्भ में वहाँ स्थापित कामधेनु गौ-गृह (गौशाला) अति महत्वपूर्ण है। वे नवजात शिशु जिन्हें उनकी माता किन्हीं कारणों से वात्सल्य ग्राम में छोड़ देती हैं उन्हें माँ के दूध की आवष्यकता सबसे पहले होती है, उनकी इस कमी को ‘कामधेनु गौ-गृह’ की गौमाताएं ही पूर्ण करती हैं। जिनके द्वारा यहाँ के सैकड़ों नन्हें बच्चों का जीवन पुष्ट हो रहा है। वात्सल्य ग्राम, वृंदावन की गौशाला में आपका सहयोग आपको न केवल गौसेवा का पुण्य देगा बल्कि आप घर बैठे ही उन नन्हें नवजात बच्चों की सेवा भी कर सकेंगे जिन्हें किन्ही कारणों से मातृत्व सुख नहीं मिल सका।

वात्सल्य ग्राम की एक समग्र दृष्टि
भगवान रास रासेश्वर की पवित्र धरती वृन्दावन में पूज्य महामण्लेश्वर युगपुरूष स्वामी परमानन्द जी महराज की परम अनुकम्पा से तथा परम पूज्य दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी की पावन छत्रछाया व दिशा निर्देश में स्थापित ”वात्सल्य ग्राम“ में भाव सम्बन्धों से अन्तर्गुम्फित अनूठे पारिवाकि ताने-बाने को बुना गया है।

- जहाँ पर विभिन्न निराश्रित एक दूसरे के पूरक हो रहे हैं। जहाँ आने वाले प्रत्येक निराश्रित शिशु भाव सम्बन्धों से अन्तर्गुम्फित माँ की ममता (यशोदा गोद) के साथ-साथ नानी और मौसी का स्नेह, अपना घर अपना आँगन अपनी रसोई उप्लब्ध हैं।

-जहाँ देश की तीन संवेदनहीन व्यवस्थाओं -अनाथालय, नारी निकेतन और वृद्धाश्रम का विकल्प है-वात्सल्य परिवार।

-जहाँ माँ स्वाभिमान और संस्कारों के साथ जीती है और वही अपनी पुत्रियों और पुत्रों में घुट्टी बनाकर भर देती है।

-जहाँ निराश्रित शिशु को केवल पाल पोस कर बड़ा कर देना ही लक्ष्य नहीं है अपितु पूर्णता के साथ प्रयास है कि यहाँ पला बढ़ा प्रत्येक नन्हा शिशु भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करे।

Wednesday, 18 September 2013

हमी तो भोगेंगे परिणाम...

बनाये बड़े-बड़े हैं डाम ।
हमी तो भोगेंगे परिणाम ।।

बर्फीली वन कन्दराओं को भी न हमने छोड़ा ।
सभी जगह दौड़ाया हमने अपने मन का घोड़ा ।।

मौज और मस्ती करने को पहुंचे तीरथ धाम ।
हमी तो भोगेंगे परिणाम ।

गंगा की अस्मत से हमने खेल किये मन चाहे ।
गंगा को गंगा न माना दूशित दृव्य बहाये ।।

क्रुद्ध हुईं गंगा तो क्यों मचा रहे कोहराम ।
हमी तो भोगेंगे परिणाम ।

पहले उत्तरार्द्ध जीवन में तीर्थ यात्रा करते ।
और तीर्थ की पावनता के नियम सभी थे वरते।।

श्रृद्धा से दर्शन करते थे मिलती शांति तमाम ।।
हमी तो भोगेंगे परिणाम ।

अब श्रृद्धा को भोगवाद ने पीछे छोड़ दिया है ।
नई पीढ़ी के नव चिन्तन ने विकसित मोड़ लिया है।।

नश्ट किये प्राकृतिक उपक्रम बना दिये है डाम ।
हमी तो भोगेंगे परिणाम ।

सृश्टि के विपरीत बनाये भवन तीर्थ स्थल में ।
प्रलंकार को छोड़ सभी कुछ समा गया है जल में ।।

हमें सुधरने को प्रकृति ने भेजा है पैगाम ।।
हमी तो भोगेंगे परिणाम।

- उमाशंकर राही
 सौजन्य - वात्सल्य निर्झर, सितम्बर 2013 

Friday, 13 September 2013

सैनिकों की कलाई पर सजी वात्सल्य की राखी

मथुरा-वृन्दावन मार्ग स्थित वात्सल्य ग्राम में प्रति वर्ष की भाँति इस वर्ष भी राष्ट्र रक्षा सूत्र बन्धन यात्रा के माध्यम से फिरोज़पुर पंजाब सीमा पर सैनिकों के राखियाँ बाँधी गईं। वात्सल्य ग्राम में 19 अगस्त 2013 को रक्षा सूत्र समर्पण समारोह सम्पन्न हुआ। जिसमें एक दर्जन विद्यालयों और सामजिक संस्थाओं ने युगपुरूष स्वामी परमानन्द गिरि जी महाराज को राखियाँ सौंपी।

इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में युगपुरूष स्वामी परमानन्द गिरि ने कहा कि संसार जब से चल रहा है और जब तक चलेगा व्यक्ति के जीवन में संघर्ष रहता है और रहेगा यह संघर्ष दो प्रकार का होता है व्यक्तिगत जीवन में और सामाजिक जीवन में आन्तरिक और वाह्य संघर्ष रहता है और वह राष्ट्र की सीमाओं में और समाज की सीमाओं में भी इसी लिए बाहरी और आन्तरिक रक्षा के लिए भारत ने बहुत कुछ सोचा है। जैसे महाभारत बाहरी रक्षा के लिए और गीता उपनिषद हमारे आन्तरिक रक्षा के लिए है। वह सब हमारे विश्वास पर निर्भर करता है। भारत ने बहुत पहले से ही ऐसे विश्वास दिये हैं जिनसे हम अपने रिश्तों को पवित्र रख सकें। भाई-बहन का रिश्ता भी उनमें से एक है। उन रिश्तों को पवित्र और मजबूत रख सकें उसके लिए एक परम्परा चल रही है वह है रक्षा बन्धन। वात्सल्य ग्राम में ऋतम्भरा ने सैनिकों के राखी बाँधने जो यह कार्य किया है वह बहुत अच्छा है देश भर से लोग राखियाँ भेजते हैं यहाँ पर जो विद्यालय एवं संस्थाएं राखियाँ लेकर आए हैं वह भी सौभाग्यशाली हैं क्योंकि उनकी राखियाँ उन सैनिकों की कलाई की शोभा बढ़ाएंगी जो देश की रक्षा में लगे हुए हैं। आज देश में विश्वास की कमी आ गयी है। हम अपनी शक्ति को पहचान नहीं पा रहा है जिसके कारण हमारा शत्रु हमारी सीमाओं में घुसकर सैनिकों पर हमला कर देते हैं। देश को चाहिए इसका मुँह तोड़ जबाब दे। बेटियों द्वारा सैनिकों के बाँधी गयी राखियाँ उन्हे बल प्रदान करेंगी। उनके विश्वास को बढ़ाएंगी।

सैनिकों के लिए दिल्ली, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों से तथा रतन लाल फूलकटोरी इन्टर कालेज, कान्हा माखन पब्लिक स्कूल, रमनलाल सोराहवाला पब्लिक स्कूल, समविद गुरुकुलम इन्टरनेशनल स्कूल, गोकुल, कृष्णा ब्रहमरतन विद्यामन्दिर, नचिकेता महाविद्यालय, जबलपुर, गुरुकुल इन्टरनेशनल स्कूल नालागढ़ आदि ने लगभग 2000 राखियाँ सौपीं।

20 अगस्त को प्रातः 5.00 बजे युगपुरूष स्वामी परमानन्द जी ने झण्डी दिखाकर यात्रा को रवाना किया । 50 बेटियों का दल यात्रा की संयोजिका साध्वी शिरोमणि एवं श्रीमती अर्चना शर्मा के नेतृत्व में यात्रा सुबह 8.00 बजे इण्डिया गेट अमर जवान ज्योति पहुँच कर परम पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा ने बच्चों के साथ शहीदों को नमन करते हुए पुष्पचक्र समर्पित किया तथा आदरणीय संजय भैया, श्री अशोक सरीन जी, श्री ओम प्रकाश गोयंका जी, श्री अजय गोयनका जी, साध्वी शिरोमणि आदि ने पुष्प अर्पित कर देश के शहीदों को याद किया। पूज्य दीदी माॅ जी ने सभी बेटियों को राष्ट्र प्रेम का संदेश दिया और आशीर्वाद देकर विदा किया। उसके बाद यात्रा ने वात्सल्य मन्दिर रोहिणी सेक्टर-7 में पड़ाव डाला जहाँ रोहिणी के माननीय विधायक श्री जयभगवान अग्रवाल के सानिध्य में भोजन जलपान कर यात्रा ने फिरोज़पुर (पंजाब) बार्डर की ओर प्रस्थान किया और रात्रि फिरोज़पुर में विश्राम कर 21 अगस्त की सुबह सभी ने 137 बटालियन बी.एस.एफ ममदौड के कमाण्डेट मलकियत सिंह की कलाई पर साध्वी शिरोमणि एवं साध्वी सम्पूर्णां ने राखी बाॅधी तथा पूज्या दीदी माँ जी द्वारा दिया गया सैनिक सम्मान पत्र एवं वात्सल्य का प्रतीक चिन्ह व पटका भेंट किया। समविद् की प्रधनाचार्या श्रीमती अर्चना शर्मा के नेतृत्व में सभी बेटियों ने सैनिकों को राखी बाँधी ।

इस अवसर पर कमाण्डेट मिलकिय सिंह ने कहा कि परमशक्ति पीठ वात्सल्य ग्राम द्वारा वहाँ की बहनों ने हमारे सैनिकों के राखी  बाँधी इससे हमारे सैनिकों में देश की सेवा के प्रति और जज्बा पैदा होगा। हमारी बटालियन में ऐसे भी सैनिक हैं जिनकी बहनें नहीं हैं आप लोगों ने उनके राखी बाँध कर उनको यह महसूस करा दिया है कि हम सभी तुम्हारी बहनें है आपने हमारे सैनिकों की हौसला अफज़ाई की इसके बहुत बहुत धन्यवाद। पूज्य दीदी माँ जी वात्सल्य ग्राम में बच्चों की उŸाम परवरिश कर रही हैं उन्हें शिक्षा और संस्कार दे रहीं हैं। उनके अन्दर राष्ट्रभक्ति जगा रहीं है यह बहुत बड़ा काम कर रहीं है। उनके इस कार्य के लिए आभार है।
इसके बाद मस्ता चैकी पर तैनात सैनिकों के राखी बाँधने पहुँचे, जहाँ पर तैनात अस्सिटेन्ट कमाण्डेट रविकुमार, ए.वी.शर्मा, ए.एस.आई जागेश्वर शर्मा, ए.एस.सी तिरवा, दीपक कुमार, ज्योति आदि के साथ सैनिकों के राखियाँ बाँधी। साध्वी शिरोमणि ने सैनिकों के नाम पूज्या दीदी माँ जी का संदेश पढ़कर सुनाया। साध्वी सम्पूर्णा ने राखी गीत व देश भक्ति गीत सुनाया। मीडिया प्रभारी उमाशंकर राही ने ओज पूर्ण काव्य पाठ किया जिससे सैनिकों में जोश और उत्साह का संचार हुआ। 

श्रीमती अर्चना शर्मा एवं श्रीमती दीप्ति शर्मा के नेतृत्व में सभी बच्चों ने भारत- पाक सीमा का अवलोकन किया तथा वहाँ की रक्षा पद्धति को समझा। वहाँ पर सैनिकों के बंकरों को देखा और सैनिकों की जीवन शैली को समझा। सैनिकों ने नम आँखों से सभी को खुशी-खुशी विदा किया और दल ने वात्सल्य ग्राम की ओर प्रस्थान किया।

परम पूज्य सद्गुरुदेव, पूज्या दीदी माँ जी का आशीर्वाद एवं साध्वी शिरोमणि के संयोजन में आयोजित राष्ट्ररक्षा सूत्र बन्धन यात्रा की इस यात्रा में तथा साध्वी सम्पूर्णां, दिनेश शर्मा, समविद गुरुकुलम् की बेटियाँ व प्रधानाचार्या श्रीमती अर्चना शर्मा, श्रीमती दीप्ति शर्मा, रंगनाथ सोनी, गुलशन आदि का विशेष सहयोग रहा ।

- उमाशंकर रही 
 वात्सल्य ग्राम, वृन्दावन

Wednesday, 11 September 2013

परमशक्ति पीठ उत्तराखण्ड की ध्वस्त घाटियों में आशा की किरण...

 उत्तराखण्ड की प्राकृतिक विनाशलीला ने लोगों की जिंदगियां तो छीनी ही उनके घर भी उजाड़ दिए। पहाड़ी इलाकों के अधिकांश गांवों में स्थित घर जलप्रलय की लहरों से जर्जर हो चुके हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं बेसहारा हुई हैं और बच्चे अनाथ। क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश पुरुष सदस्य छोटे-मोटे व्यापार-व्यवसाय के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर गए थे जहां हुई भीषण जलप्रलय उन्हें  अपने साथ बहा ले गई।

बचाव कार्य तो पूरा हो गया लेकिन अब बहुत जल्द भीषण ठण्ड इस पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लेगी। दरक चुके घर रहने लायक नहीं बचे। घरों के साथ बच्चों की पाठ्य पुस्तकें, यूनिफार्म आदि भी अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गईं। अब वे कहां रहेंगे? वे स्कूल कैसे जाएंगे? जो भी कुछ पास में था जिसे दिन-रात मेहनत करके जोड़ा बटोरा था वह सबकुछ एक ही झटके में निराशा की गहराईयों में डूबकर ओझल हो गया। अब आगे क्या होगा? जीवन कैसे कटेगा। त्रासदी गुजर जाने के बाद अब ये सारे  प्रश्न हर उस परिवार के सामने हैं जो उजड़ चुका है। इस दुर्गम इलाके के कई गांवों में तो घरौंदों का नामोनिशान ही मिट गया है। दर्द के निशानों से जहां तहां पटी पड़ी जमीन और दूर क्षितिज तक फैला आसमान ही अब उनका ओढ़न-बिछावन है।

ऐसी विषम परिस्थितियों में परमशक्ति पीठ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इन आपदा पीडि़तों को सहारा देने के लिए। परमपूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जीे का ममत्व जाग उठा इन गिरिवासी बंधुओं के लिए और एक व्यापक कार्ययोजना बनाई गई संस्था ‘परमशक्ति पीठ’ के द्वारा। संस्था के कर्मठ और सेवाभावी कार्यकर्ता भाई-बहन दुर्गम पहाड़ों और कठिन मौसमी चुनौतियों को पार करते हुए आवश्यक राहत सामग्री के साथ उन गांवों तक पहुँचे जहां के निवासी खुले आसमान के नीचे सहायता की प्रतीक्षा कर रहे थे।

वात्सल्यमूर्ति दीदी माँ जी कई ऐसे घरों तक पहुंची जहां मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था। कहीं किसी मां की गोद उजड़ी हुई थी तो कहीं किसी मांग का सिन्दूर बह गया था। अपनों के बिछोह में आंसू बहाते लोगों को उनके बीच उनके आंगन में बैठकर दीदी मां की ममता ने उनके दिलों को दुलारा।

रास्ता कठिन जरूर था लेकिन भीष्म संकल्पों की राह कौन रोक सकता है। कठिन रास्तों पर पैदल चलते हुए वात्सल्य की गंगा उन पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुंची जहाँ आपदा पीडि़त आबादी अपनों को खो देने के ताप से तप रही थी। दीदी मां के वात्सल्य की शीतल धारा ने उन्हें धैर्य दिया। 

माँ के बताये रास्ते पर ही संतानें चलती हैं। तमाम खतरों को पार कर आपदाग्रस्तों के बीच पहुंचने वाली अपनी दीदी मां की प्रेरणा पाकर उनकी कई साध्वी शिष्याओं के अन्तःकरण से आवाज उठी और वे भी उत्तराखण्ड के सुदूर पहाड़ों में चल पड़ी दुखी मानवता को राहत पहुंचाने के लिए।

Tuesday, 10 September 2013

आइए, उनका सहारा बनें जिन्हें वक्त ने बेसहारा कर दिया...

केदारघाटी की त्रासदी में बड़ी संख्या में महिलाओं का सिंदूर बहा तथा बच्चों ने अपनों को खोया। वात्सल्य सेवा केन्द्रों द्वारा उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में केदारघाटी के ऊखीमठ एवं वयुंग कोरखी वात्सल्य सेवा केन्द्रों के माध्यम से परमशक्ति पीठ द्वारा अपने माता या पिता को खो कर निराश्रित हुए सैकड़ों बच्चों को लाकर उनके उत्तम

स्कूली शिक्षा, चिकित्सा, व्यक्तित्व विकास एवं वेलफेअर के साथ ही उनके पारिवारिक निवास की व्यवस्था की गई है। यदि आप भी उनके उज्जवल भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं तो अभिभावक सदस्य बनने के लिए तुरन्त सम्पर्क करें
आप अपनी सहयोग राशि परमशक्ति पीठ की नीचे दिए गए बैंक खातों में जमा कर सकते हैं।

आई. सी. आई. सी. आई.
खाता संख्या - 033001001453
IFSC Code - ICIC0000330


एस.बी. आई.
खाता संख्या - 10137296689
IFSC Code - SBIN0007085



अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें वेबसाइट- www.vatsalyagram.org, ईमेल - info@vatsalyagram.org

मोबाइल  - 08826888001, 9999971714

Thursday, 29 August 2013

परमशक्ति पीठ द्वारा आपदा प्रभावित उत्तराखण्ड में आरंभ किये गए सेवाकार्य

  • उत्तराखण्ड त्रासदी के वास्तविक पीडि़तों तक पहुँचकर उन्हें आवश्यक सामग्री का वितरण।
  • निराश्रित हो गए बच्चों को अपनाकर पारिवारिक वातावरण प्रदान करना, उनका पालन-पोषण एवं निःशुल्क तथा श्रेष्ठ शिक्षा की व्यवस्था करना।
  • विधवा अथवा निराश्रित हो गई महिलाओं को संबल प्रदानकर विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षणों के माध्यम से स्वरोजगार हेतु प्रेरित कर उन्हें स्वाभिमानपूर्वक स्वावलंबी बनाना।
पूज्य दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के पावन प्रेरणा से परमशक्ति पीठ के कार्यकर्ता ‘परमशक्ति पीठ’ वात्सल्य सेवा केन्द्रों के माध्यम से उत्तराखण्ड के सुदूर गाँवो तक जाकर आपदा प्रभावितों की हर संभव सहायता कर उन्हें त्रासदी से उबरने हेतु प्रयत्नशील हैं।

- विनम्र निवेदन -
अपने बच्चों और पति को खो चुकी अनेक महिलाओं का दर्द दिल दहला देता है। उत्तराखण्ड के सैकड़ों गाँवों में मृत्यु ने अपना तांडव किया। आसमान से बरसी जलप्रलय ने उनका सब कुछ निगल लिया है। हम सब देशवासियों का कर्तव्य है उनकी सहायता करना।
परमशक्ति पीठ ने उत्तराखण्ड में ‘वात्सल्य सेवा केन्द्रों’ के माध्यम से प्राकृतिक आपदा पीडि़त लोगों को हरसंभव सहायता पहुँचाने का संकल्प लिया है। आप भी अपना सहयोग परमशक्ति पीठ के माध्यम से इन पीडि़तों तक पहुँचा सकते हैं।

परमशक्ति पीठ के माध्यम से उन्हें बसाने हेतु अपनी सहयोग राशि परमशक्ति पीठ के नीचे दिए गए खातों में जमा कर सकते हैं। 

आई सी आई सी आई बैंक 
खाता संख्या - 033001001453
आई ऍफ़ सी कोड - ICIC0000330

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया 
खाता संख्या - 10137296689 
आई ऍफ़ सी कोड - SBIN0007085

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें: 09999971714, 08826888001
ईमेल- info@vatsalyagram.org, वेबसाइट - www.vatsalyagram.org

Wednesday, 7 August 2013

वात्सल्य ग्राम की मानवसेवा यात्रा का एक नया शुभारम्भ…

दीप प्रज्वलित करते माननीय मोदी जी , पूज्य गुरुदेव एवं पूज्य दीदी माँ जी
डाकोर, जिला-खेड़ा, गुजरात में परमपूज्य सद्गुरुदेव युगपुरुष महामंडलेश्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी परमानन्द गिरि जी महाराज के पावन कर कमलों द्वारा विगत 20 मई को गुजरात में निर्मित होने वाले वात्सल्य ग्राम के निर्माण का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर गुजरात राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस सेवा प्रकल्प में राज्य शासन की ओर से भरपूर सहयोग देने का वचन दिया। भगवान रणछोड़राय जी की सुप्रसिद्ध तीर्थ नगरी डाकोर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम महीसा में निर्माणाधीन इस वात्सल्य ग्राम में निराश्रित बच्चों की आवासीय इकाईयाँ, विद्यालय, चिकित्सालय तथा महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के साथ ही अनेक लोक कल्याणकारी कार्य संचालित किए जाएंगे।



सभा को संबोधित करतीं पूज्या दीदी माँ जी

इस अवसर पर वात्सल्य परिवार अवधारणा की जननी वात्सल्यमूर्ति परमपूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी ने राष्ट्र के नवनिर्माण में वात्सल्य ग्राम की भूमिका पर अपने विचार प्रकट किए। गुजरात राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वात्सल्य ग्राम का जोरदार समर्थन करते हुए दीदी माँ जी को विश्वास दिलाया कि मई 2015 के पहले तक इस परियोजना को पूर्ण करने के लिये गुजरात शासन अपना हर संभव सहयोग इस मानव सेवा प्रकल्प के लिए प्रदान करेगा। परमपूज्य संत श्री अविचलदास जी महाराज तथा सुप्रसिद्ध प्रवचनकार गोस्वामी इंदिरा बेटी जी ने वात्सल्य ग्राम के माध्यम से किए जा रहे सेवाकार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर गुजरात के अनेक प्रसिद्ध संतों की पावन उपस्थिति ने मंच को शोभायमान किया। परमशक्ति गुजरात के अध्यक्ष श्री काकूभाई जी ने इस समग्र प्रकल्प की योजना को विस्तारपूर्वक बताया।



भूमि पूजन के समय उपस्थित पूज्य गुरुदेव, दीदी माँ जी व अन्य

वात्सल्य ग्राम, महीसा में सम्पन्न हुए इस प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन में पूज्या साध्वी साक्षी चेतना जी, पूज्या साध्वी चैतन्य सिंधु जी, श्री संजय भैया (महासचिव - परमशक्ति पीठ), श्री जयभगवान जी अग्रवाल (उपााध्यक्ष परमशक्ति पीठ), श्री अशोक जी सरीन (कोषाध्यक्ष - परमशक्ति पीठ), डाॅ. श्याम अग्रवाल (उपाध्यक्ष- परमशक्ति पीठ), श्री महेश खण्डेलवाल (कोषाध्यक्ष- वात्सल्य ग्राम) साध्वी सत्यप्रिया गिरि जी,श्री एन.पी. शर्मा जी (भारत वेलफेयर ट्रस्ट, यू.के.), श्री रमणीक भाई (अध्यक्ष- माँ चैरेटी ट्रस्ट, यू.के.), श्रीमती पुष्पा सर्राफ, श्री रामजीभाई पटेल (परमशक्ति पीठ, अमेरिका), श्री अनिल भाई पारीक (परमशक्ति पीठ, अमेरिका), श्री इन्दर पांचाल, श्री एच.आर.जिंदल, श्री महेशभाई सवानी, श्री सावरमल जी बुधिया, श्री नानालालजी, श्री ओ. पी.गोयनका, श्री एल.डी. कटारिया, श्री गोपाल पटवा, श्री राजेन्द्र तुलस्यान, श्री सोहन रामुका, श्री एम.बी.सेक्सरिया, श्री गुणेन्द्र जी मेड़तिया, श्री अनिल जी सिंघल तथा श्रीमती अंकिता एवं श्री पुनीत गोयल सहित गुजरात के अनेक भागों से पधारे हुए गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।

Monday, 5 August 2013

वात्सल्य ग्राम में संपन्न हुआ सात दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर

वर्तमान में भारत की मातृशक्ति एक विचित्र समय से गुजर रही है। कभी मातृसता के दम पर भारतवर्ष में सुसंस्कारी पीढि़यों ने स्वदेश को ‘सोने की चिडि़या’ बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन आज उसी भारत में नारी की लज्जा को लहूलुहान किया जा रहा है। भारत की नारीशक्ति को सशक्त और समर्थ बनाने के उद्देश्य से विगत 16 से 22 जून 2013 तक ‘बालिका व्यक्तित्व विकास शिविर’ का आयोजन किया गया। आधुनिक जगत और भारत के प्राचीन आध्यात्मिक जीवन मूल्यों के साथ कैसे बालिकाएं अपना समग्र विकास कर सकती हैं, यह शिविर इसी बात को ध्यान में रखकर आयोजित था। हम कैसे जिएं कि हमारा जीवन दूसरों का आदर्श बन जाये, इस विषय पर प्रतिदिन अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शन में पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी ने शिविरार्थी 76 बेटियों को सफल जीवन जीने की कला सिखाई। बेटियां अभीभूत थीं। शिविर समापन के अवसर पर जो अनुभव उन्होंने बताये वो आश्चर्यचकित करते हैं। मात्र सात दिनों की इस अल्प अवधि में उन्होंने ऐसा बहुत कुछ शुभ और सुंदर सीखा जो उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन कर देने की सामथ्र्य रखता है। पूज्या दीदी मां जी की पावन प्रेरणा और साध्वी शिरोमणि जी तथा उनके अनेक सहयोगियों की अगुवाई में सम्पन्न यह शिविर अनेक अर्थों में विशेष महत्व रखता है। वात्सल्य ग्राम, वृंदावन के पावन प्रांगण में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला यह शिविर बेटियों को केवल आत्मरक्षार्थ शरीर से मजबूत रहने की कला ही नहीं सिखाता बल्कि उनके हृदयों के उन कोमल भावों को भी जगाता है जिनके वशीभूत मनुष्य अपने मनुष्यत्व से ऊपर उठकर देवत्व की ओर अग्रसर होता है।

वात्सल्य ग्राम के मीडिया प्रभारी श्री उमाशंकर जी राही ने जानकारी देते हुए बताया कि वृन्दावन-मथुरा मार्ग स्थित वात्सल्य ग्राम वृन्दावन में बालिका व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ वात्सल्यमूर्ति परमपूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन द्वारा हुआ।  इस अवसर पर आपने कहा कि -‘चरित्र  निर्माण से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। बिना चरित्र के व्यक्तित्व का निर्माण संभव नहीं है। जो लोग बाहर से अपने को सजाते सवांरते हैं वह दिखावा करते है, वह उनका ओढ़ा हुआ स्वरूप होता है। व्यक्तित्व ओढ़े नहीं जाते बल्कि उनका निर्माण तो अन्तःकरण से होता है। ओढ़ा हुआ व्यक्तित्व लोगों को प्रसन्न नहीं कर सकता । चेहरा वह दर्पण है जो व्यक्ति के अन्तर को प्रकट करता है। चरित्र निर्माण के लिए व्यक्ति कर्म की कसौटी पर कसा जाता है। आप देखिये कि एक  पत्थर भी यदि स्वयं को नदी की तेज धार में समर्पित कर उसके थपेड़ो को सह जाता है तो वह भी शंकर बनकर आस्था का केन्द्र बन जाता है इसके विपरीत जो थपेड़ों से डरकर टूट जाता है वह कंकर बनकर मार्ग में पड़ा लोगों की ठोकरें खाता है। यदि आप अपने मन को साध लेते हैं तो हर मंजिल आपके कदम चूमेंगी।  जो बीज मिट्टी में मिलकर नष्ट होने से बचता है वह कभी भी वृक्ष नहीं बन सकता। इसलिए बनने से पहले मिटना सीखिये। इसके लिए हमारे अन्दर समर्पण का भाव आना बहुत आवष्यक है।’
      उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार राय (पुलिस अधीक्षक -अपराध शाखा) ने अपने  उद्बोधन में कहा कि जीवन में बनने का एक समय होता है। उस समय को हमें खोना नहीं चाहिए। जीवन मूल्यवान होता है जिसके हर क्षण में हमें कुछ न कुछ सीखना चाहिए। व्यक्तित्व विकास से ही परिवार, समाज, और देश का विकास होता है। नागरिकों से ही राष्ट्र का निर्माण होता है और राष्ट्ररूपी मकान में हम एक ईंट का काम करते हैं। आप इस व्यक्तित्व विकास शिविर में आये हैं तो एक-एक क्षण उपयोग कुछ न कुछ सीखने में लगाना चाहिए। इस सत्र के विशिष्ठ अतिथि थे श्री राजेश कुमार राय (मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, मेरठ), श्री राकेश कुमार राय (मुख्य अधिकारी -अग्निशमन), श्री ओमप्रकाश गुप्ता (चेयरमेन -डायमंड शूज), डाॅ. कल्याणी, श्री महेश खण्डेलवाल (अध्यक्ष -वात्सल्य ग्राम) ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर श्री गोपाल पटवा, डाॅ. ए.के.राय, साध्वी शिरोमणि जी (शिविराधिकारी) ,साध्वी स्वरूप जी, साध्वी सत्यप्रिया जी, साध्वी सुहृदय जी, साध्वी सम्पूर्णा जी, स्वामी सत्यशील जी, स्वामी सत्यदेव जी, श्रीमती दीप्ति शर्मा, साध्वी समाहिता जी, कु. ऋतिका परमानन्द, कु. श्वेता परमानन्द, श्री बालजी चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।

शिविर के दूसरे दिन बौद्धिक सत्र में योग प्राणायाम से जीवन की दिनचर्या संयमित बनाने के उपाय बताये गये। योगाचार्य श्री शेषपाल जी, दिल्ली ने शिविरार्थियों को दैनिक जीवन में योग का महत्व बताते हुए कहा कि हमारा जीवन श्वासों पर आधारित होता है। व्यक्ति श्वांस लेता वह उतना ही लम्बा जीवन जीता है। व्यक्ति यदि अपनी दिनचर्या में यदि योग को सामिल कर ले तो वह हमेषा निरोग रहेगा। सुश्री अमिता पंचाल (इन्दौर) ने आर्ट एवं क्राफ्ट के माध्यम से षिविरार्थियों को अनुपयोगी सामग्री से कलात्मक वस्तुएं बनाना एवं अंकों के माध्यम से चिन्हों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के चित्र तथा बधाई पत्र बनाना सिखाया। साध्वी सम्पूर्णा जी ने संगीत की क्लास लेकर गायन वादन के तरीके सिखाकर गीतों के अनुरूप अभिनय करने (रिकार्ड एक्शन) का तरीका बताया। वात्सल्य मिलन कार्यक्रम के अंतर्गत देशभक्ति गीत प्रतियोगिता आयोजित हुई।

           शिविरार्थी बेटियों ने तीसरे दिन परमपूज्या दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा जी के पावन सान्निध्य में बैठकर ध्यान साधना के माध्यम से एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना सीखा। इस अवसर पर दीदी मां जी ने कहा कि -‘हमें अपने मन को साधना है तो ध्यान लगाना बहुत आवष्यक है। जब व्यक्ति का मन स्थिर हो जाता है तो वह किसी भी साधना को प्राप्त कर सकता है। उन्होने शिविरार्थियों को समानुभूति, निश्पक्षता और सत्यनिश्ठा के साथ जीवन जीने का पाथेय देते हुए कहा कि -‘जब दूसरे के सुख दुःख को देखकर अपने अन्दर भी सुख और दुःख अहसास करते हैं तो यह हमारी समानुभूति है हम जैसा व्यवहार अपने साथ चाहते हैं वहीं व्यवहार दूसरों के साथ करना चाहिए। हम जो व्यवहार दूसरों के साथ करते हैं वह हमारे लिए भी खड़े हो जाते हैं। हमें अपने जीवन को निश्पक्ष बनाना चाहिए कोई देखे अथवा नहीं देखे अपने निर्णय को साफ रखना चाहिए।’ शिविरार्थी बेटियों को आत्मरक्षार्थ हेतु नियुद्ध कला, रायफल शूटिंग तथा धनुर्विद्या का प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया।  शिविरार्थियों ने शंखनाद प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमें सर्वाधिक लंबे समय तक शंख बजाकर ओजस्विनी ग्रुप की कु. विनीता ने प्रथम स्थान,यशस्विनी ग्रुप की कु. भूमि ने द्वितीय स्थान तथा तपस्विनी ग्रुप की कु. ऋषिका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।  

               समाजसेविका डॉ उमा तूली ने षिविरार्थियों को सेवा का भाव समझाते हुए बाताया कि मानव सेवा ही प्रभु की सच्ची सेवा है। डॉ कल्याणी ने कहा कि बेटियां यहाँ से बहुत कुछ सीख कर जाती हैं। शिविराधिकारी साध्वी शिरोमणि जी ने अनुषासन का महत्व समझाते हुए कहा कि यदि हमारे जीवन में अनुशासन नहीं हेै तो हम पढ़ने लिखने के बाद भी अशिक्षित हैं। वात्सल्य ग्राम के अध्यक्ष श्री महेष खण्डेलवाल ने षिविरार्थियों को जीवन में प्रसन्नता के महत्व पर प्रकाष डालते हुए उन्होने कि जो लोग प्रसन्न रहते हैं वह स्वस्थ्य रहकर दीर्घ आयु जीते हैं। स्वस्थ रहने के लिए हॅसना बहुत जरूरी होता है जीवन के एक एक क्षण का उपयोग अपने आनन्द के लिए करना चाहिए। वात्सल्य ग्राम के व्यवस्थापक डॉ अभय कुमार राय ने परिश्रम को सफलता की कुंजी बताते हुए कहा कि व्यक्ति परिश्रम और निश्ठा से जो चाहे वह प्राप्त कर सकता है यदि हमें जीवन में सफल होना है तो स्वयं को परिश्रमी, चरित्रवान, निश्ठावान बनाना चाहिए। वात्सल्य ग्राम के मीडिया प्रभारी ने सभी का आभार प्रकट करते हुए अपनी कविता के माध्यम से कहा कि हम जो भी कार्य करें उस कार्य में अपने राश्ट्र की छवि दिखाई देनी चाहिए।  

                               सात दिनों तक चले इस ‘बालिका व्यक्तित्व विकास षिविर का’ समापान समारोह बहुत ही भावपूर्ण कार्यक्रम के साथ हुआ। दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा के पावन सानिध्य में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश शासन की स्कूली शिक्षा मंत्री  माननीय श्रीमती अर्चना जी चिटनीस, विशिष्ठ अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध समाचार पत्र पंजाब केसरी की सूत्रधार श्रीमती  किरण जी चोपड़ा एवं समाचार पत्र ‘हिन्दुस्तान’ के सम्पादक श्री पुष्पेन्द्र जी शर्मा एवं डॉ मनोज मोहन जी शास्त्री उपस्थित रहे। 

शिविर समापन के इस अवसर पर माननीय अतिथियों के भावपूर्ण अभिनन्दन के बाद रंगारंग एवं देशभक्तिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृखंला प्रारम्भ हुई जिसमें गुजरात, मध्यप्रदेष, हिमाचल प्रदेष, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा उत्तरप्रदेष के विभिन्न जिलों से आई 80 बालिकाओं ने अपनी शानदार प्रस्तुतियां दीं। सेवानिवृत्त मेजर आशा माथुर जी जो कि विगत कई वर्षों से वात्सल्य ग्राम में आयोजित किये जाते रहे इन शिविरों में अपने सैन्य अनुभवों को शिविरार्थियों के साथ साझा करती रही हैं, के मार्गदर्शन में, कु. निकिता, कु.वर्षा तथा कु. पूनम द्वारा आत्मरक्षार्थ सिखाये गए जूडो- कराटे, राईफल सूटिंग, धनुर्विद्या का प्रदर्षन करते हुए प्रतिभागियों ने लक्ष्यों को भेदा। सर्वधर्म समभाव को राष्ट्रधर्म  मानते हुए ”हम हिन्दुस्तानी” नाटक खेला गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि पंजाब केसरी परिवार के ‘वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब’ की श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि -‘वात्सल्य ग्राम में आकर दीदी मां जी एवं शिविरार्थी बालिकाओं के साथ बीते उनके पल दिल को छू गए। बालिकाओं ने अपने सांस्कृतिक मंचन में देशभक्ति का भाव पैदा किया। दीदी मां जी की स्नेहमयी छाया में पली बढ़ी बेटियों के भीतर जो भाव मैंने देखे हैं उससे मैं अभीभूत हूं। इस शिविर के समापन अवसर पर शिविरार्थी बेटियों की प्रतिभा देखकर मैं आश्वस्त हूं कि ये बेटियां सबला होने के साथ ही सुसंस्कारित भी हो गई हैं।’ हिन्दुस्तान समाचार के स्थानीय संपादक श्री पुष्पेन्द्र जी शर्मा ने कहा कि -‘देश के युवा वर्ग एवं समाज को एक नई ऊर्जा प्रदान करने वाली साध्वी ऋतम्भरा जी ने वात्सल्य ग्राम में वात्सल्य भाव को जाग्रत करके उसे जिया है। स्त्री के बिना समाज अधूरा है। यह प्रसन्नता की बात है कि वात्सल्य ग्राम बालिकाओं को जीवन जीने की कला सिखा रहा है। दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा जी से प्राप्त संस्कारों से युक्त बालिकाएं जहां भी जाएंगी वहां वे ज्ञान और संस्कारों का उजियारा ही फैलाएंगी। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कथावाचक एवं विद्वान आचार्य डॉ मनोज मोहन जी शास्त्री ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। पं. मृदुलकृष्ण जी  शास्त्री, डॉ प्रवीण वर्मा तथा श्री आजादसिंह जी सहित अनेक गणमान्य नागरिकगण एवं शिविरार्थी बेटियों के अभिभावक भी उपस्थित रहे।

Thursday, 1 August 2013

एक चमत्कार - वात्सल्यमयी स्पर्श का

कई बार जीवन का आरंभ ही संघर्षों के बीच होता है। पलक ऐसी ही एक  बच्ची है जो नियति के संघर्ष चक्र से गुजर रही है। इन्दौर की एक सर्द रात में कोई उसे चैराहे पर असहाय अवस्था में छोड़ गया था। मानसिक रूप से विकलांग यह बच्ची एक कपड़े में लिपटी हुई थी, पास ही अखबारी कागज में लिपटी दो रोटियों के सहारे शायद उसके पालकों ने उसे निर्दयतापूर्वक वहाँ छोड़ा होगा। पुलिस को मिली सूचना के बाद उसे शासकीय चिकित्सालय पहुंचाया गया। चिकित्सकीय परीक्षणों में पाया गया कि वह मानसिक रूप से विकलांग है और इस हालत में उसे किसी ऐसे केन्द्र की आवश्यकता है जो इसके इलाज के साथ ही उसके मानसिक स्तर को बढ़ा सके।

‘श्री युगपुरुष धाम बौद्धिक विकास केन्द्र’ इन्दौर की एक ऐसी ही संस्था है जो मानसिक रूप से विकलांग बच्चों की सेवा में जुटी हुई है। इन बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित यहाँ की शिक्षिकाओं को इनके बीच काम करते देखना सचमुच एक भावपूर्ण अनुभूति है। मानसिक रूप से असंतुलित बच्चों को संभालना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। यहाँ लाए जाने वाले ज्यादातर बच्चे शुरुआत में अपनी दैनिक क्रियाएं भी नहीं कर पाते हैं। शौच करना, दाँतों को ब्रश करके साफ करना, स्नान करना एवं कपड़े स्वयं ही पहनना जैसी रोजमर्रा की आदतें उनमें डालना सचमुच बहुत धैर्य का काम है। कभी-कभी ये सब सिखाते हुए वे अपनी शिक्षिका को चाँटा तक मार देते हैं। लेकिन उन्हें बहुत सहजता के साथ ये सब झेलते हुए देखा जा सकता है यहाँ पर। पूरी तन्मयता के साथ इनका बस एक ही लक्ष्य होता है कैसे भी हो इन बच्चों में सामान्य जीवन जीने लायक बुद्धि का विकास किया जाये।

पलक की दर्दभरी कहानी सुनाते हुए इस केंद्र की प्रधानाचार्या श्रीमती अनिता शर्मा ने बताया कि इन्दौर कलेक्टर के आदेश के बाद जब इस बच्ची को यहाँ लाया गया तो यह बहुत ही बुरी हालत में थी। पाइल्स की बीमारी से ग्रसित एवं कुपोषण की शिकार पलक दिन भर में 10-12 बार कभी भी शौच कर देती। बदबू इतनी भयंकर कि आप उस कमरे में ही खड़े नहीं हो सकते। रात के सन्नाटे में वह जोर-जोर से चीखें मारकर रोती। आसपास के घरों तक उसकी ये आवाजें जातीं। इन सारी परेशानियों के बीच हम तमाम सारी कोशिशें कर रहे थे कि कैसे भी पलक कुछ नियंत्रित हो पाए लेकिन सारे प्रयास विफल थे। उसकी स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई थी। हमारे इस केन्द्र का पूरा स्टाफ वो सारी कोशिशें कर रहा था जो अन्य बच्चों के बौद्धिक स्तर को बढ़ाने के लिये की जाती हैं। हम भगवान के साथ ही पूज्य गुरुदेव युगपुरुष जी महाराज से भी प्रार्थना किया करते कि जैसे भी हो ये बच्ची ठीक हो जाये।

इसी बीच समाचार मिला कि पूज्या दीदी माँ जी इन्दौर पधार रही हैं। हमारी संस्था के महासचिव श्री तुलसी शादीजा जी के आग्रह पर उन्होंने ‘श्री युगपुरुष धाम बौद्धिक विकास केंद्र’ के बच्चों को अपना आशीर्वाद प्रदान करना स्वीकार कर लिया। संस्था का प्रत्येक सदस्य उनके आगमन का समाचार सुनकर उल्लासित था। निश्चित समय पर दीदी माँ जी केंद्र पर पधारीं। श्री परमानन्द हास्पिटल के मुख्य सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहाँ मानसिक रूप से विकलांग सभी बच्चे एवं संस्था के समस्त सदस्यगण उपस्थित था। अपना स्नेहिल आशीर्वाद प्रदान करते हुए वे एक-एक बच्चे से मिलीं। पलक भी उन सौभाग्यशाली बच्चों में से एक थी जिसके शीश पर दीदी माँ जी ने अपना आशीष प्रदान किया। हमने उन्हें बताया कि यह बच्ची किस तरह से एक असहनीय शारीरिक पीड़ा का सामना कर रही है। वे उसे ध्यानपूर्वक देखती रहीं फिर बोली -‘चिंता नहीं करो, प्रभुकृपा से यह ठीक हो जायेगी।’

बहुत देर तक वह कार्यक्रम चलता रहा। मानसिक रूप से अशक्त होने के बावजूद भी अनेक बच्चों ने दीदी माँ जी के सामने अपनी-अपनी योग्यताओं का प्रदर्शन किया। बच्चों के साथ हास्य-विनोद करते हुए वे विदा हो गईं। रात होते-होते बच्चों को सम्हालने वाली शिक्षिकाओं की वहीं चिंता थी रोजमर्रा की। पलक की चीखना-चिल्लाना। लेकिन उस रात जैसे जादू हो गया। वह शांत थी। दिन भर चाहे जब शौच कर देने वाली पलक की वह शाम जैसे राहत से भरी हुई थी। हम सब चमत्कृत थे कि आज ये क्या हुआ! वह रातभर ठीक से सोई भी। अगले दिन सबेरे से लेकर शाम तक उसने ऐसी एक भी हरकत नहीं की जैसी की वह रोज किया करती थी।’ अनिता जी हाथ जोड़कर कृतज्ञतापूर्वक यह कहती हैं कि यह सब पूज्या दीदी माँ जी की कृपा और पलक पर उनके आशीर्वाद का ही परिणाम है। अन्यथा तो एक दिन में उसका ऐसा कोई इलाज भी नहीं हुआ कि वह अचानक पहले से बेहतर स्थिति में आ जाये।

अनिता जी की यह बात सुनकर मेरी स्मृतियों में वात्सल्य ग्राम के वो सारे बच्चे तैर गये जिन्हें हमने आश्चर्यजनक रूप से स्वस्थ होते देखा है। वात्सल्य ग्राम, वृंदावन के पालने में पाई गई एक बच्ची जिसकी जन्म से ही अंगुलियाँ नहीं थीं, उन्हें आज हम सब बढ़ते हुए देख रहे हैं। ऐसे अनेकों बच्चे कभी जिनके बचने की भी उम्मीदें नहीं थीं, आज वात्सल्य के आंगन में हँसते-खेलते बड़े हो रहे हैं। दीदी माँ जी के आशीष का यह चमत्कार हम सबने देखा है जिसे पाकर पलक ने एक बड़ी राहत पाई है।  
                                                                                                                                             - देवेन्द्र शुक्ल
सौजन्य - वात्सल्य निर्झर, जून 2013

Wednesday, 31 July 2013

जगदोद्धारिणी भगवती माँ सर्वमंगला मंदिर वात्सल्य ग्राम, वृंदावन

पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के भीष्म संकल्प के साथ वात्सल्य ग्राम, वृंदावन उ.प्र. के पावन प्रांगण में ‘जगदोद्धारिणी भगवती माँ सर्वमंगला मंदिर’ का निर्माण कार्य आरंभ हो गया है। इस कार्य हेतु विश्व भर से समर्पित किये जाने वाले सहयोग ने कार्य को उत्साहपूर्ण गति प्रदान की है। विशालकालय मंदिर की नींव का कार्य चल रहा है। शीघ्र ही यह अपने अगले चरण की ओर बढ़ जाएगा। इसकी पूर्णता हेतु पूज्या दीदी माँ जी का फलाहारी व्रत और समाज बंधुओं का मुक्तहस्त सहयोग विश्व के इस अनूठे मंदिर को शीघ्र ही साकार रूप में प्रस्तुत करेगा। आपका किंचित मात्र सहयोग भी इस निर्माण की बड़ी शक्ति है। माँ भगवती के इस भव्यतम् मंदिर में अपना योगदान देकर पुण्यलाभ प्राप्त करें।

मन्दिर निर्माण सहयोग हेतु संपर्क  दूरभाष नंबर - 09999971714, 08826888002