Friday, 20 February 2015

मातृत्व का गौरव हैं दीदी माँ

माननीया दीदी माँ जी के स्वर्ण जयंती का यह अभिनन्दन समारोह वास्तव में एक बहुत ही अलग तरह का कार्यक्रम है इसीलिए मैं दिल्ली से समय निकालकर यहाँ आई हूँ। यह कार्यक्रम केवल किसी व्यक्ति के जीवन के पचास साल पूरे होने का अभिनन्दन नहीं है। अपनी इस पचास साल की उम्र में किस तरीके से हज़ारों-हज़ार लोगों को जो आप्लावित किया है, किस तरीके से प्रभावित किया है और केवल वाणी से नहीं बल्कि आज जिस तरीके से उनका कार्य चल रहा है, वह अद्भुत है। विद्यादान हो, धर्म का दान हो, समाज की सेवा हो या बच्चों को मातृत्व देने का सबसे बड़ा काम है, वो उन्होंने किया है। तो आज एक ऐसी माँ का ये सम्मान है और एक प्रकार से आज ये कहने का दिन है बाकी तो हम ये कहते हैं कि जीवेम शरदः शतं लेकिन हम ऋतम्भरा जी के लिये ये कहेंगे कि आपका जीवन आपके लिए तो है नहीं, आपका जीवन तो समाज के लिए दिया हुआ जीवन है।  तो इसलिए जब हम कहते हैं कि आप स्वस्थ रहें, आप सौ बरस जियें तो इसका मतलब है कि हम स्वयं भी धन्य होते हैं। 

आप जो कार्य कर रही हैं वह आनेवाले सालों में सबके लिए प्रेरणादायी बना रहे। हमारे देश में माता का गौरव हमारे राश्ट्र से शुरू होता है। आपने उस मातृत्व का भी गौरव बढ़ाया है। आज हम प्रार्थना करते हैं कि दीदी माँ आपने दीर्घायु रहकर अनेकानेक जीवों का जीवन आलोकित करती रहें। हमारे जैसे भी भूले-भटके जो हों तो आप उनके भी चरित्र और संस्कारों की रक्षा करती रहें।

श्रीमती सुमित्रा महाजन 
(लोकसभा अध्यक्ष)
दिनांक - 3 जनवरी 2015, इंदौर (म.प्र.)

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