Tuesday, 17 February 2015

वात्सल्य परिवार के रूप में भारत की परिवार संस्कृति विश्व रेकार्ड में शामिल

माँ अहिल्या की पावन नगरी में दीदी माँ जी को सादर प्रणाम करता हूँ। उनके लिए मैं यही कहूँगा कि वे ममता की प्रतिमूर्ति हैं। कुछ समय पूर्व मैं जब सूरत से दिल्ली जा रहा था तब सौभाग्यवश एयरपोर्ट पर मेरी उनसे मुलाकात हुई। बातचीत के दौरान मुझे उनसे एक अद्भुत जानकारी मिली जिसमें उन्होंने वात्सल्य ग्राम में किये जा रहे सेवाकार्य के बारे में बताया। उन्होंने मुझे कहा कि कभी समय निकालकर आप वात्सल्य ग्राम का दर्शन अवश्य करें कि हम लोग क्या कर रहे हैं। और फिर बाद में मैंने वहाँ जाकर जो देखा उसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था। वह अद्भुत था, अविस्मरणीय था, अभूतपूर्व था और क्या कहूँ, मेरे पास शब्दों की कमी है।

    जैसा कि आप सब जानते हैं मैं ‘गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रेकार्ड’ की तरफ से यहाँ आया हूँ। हमारी यह संस्था ऐसे ही अद्भुत और असाधारण कार्य को ही विश्व रेकार्ड के रूप में लेते हैं। दीदी माँ ने केवल निराश्रित बच्चों को ही नहीं पाला है बल्कि वात्सल्य ग्राम के रूप में विश्व को यशोदा माताओं, बच्चों और नानियों के साथ एक अद्भुत फैमेली कांसेप्ट दी है। उसको इंप्लीमेंट किया और अब मैनेज कर रही हैं। वो है भारत की सांस्कृतिक पहचान जो परिवार रूप में है। हमने कोशिश की कि सारी दुनिया भारत की इस सुन्दर व्यवस्था के बारे में जाने। हमने वात्सल्य ग्राम से संबंधित सारे आँकड़े जुटाकर ‘गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रेकार्ड’ को भेजे और उन्होंने इसे अपने रेकार्ड में शामिल किया। आज यह मेरा सौभाग्य है कि दीदी माँ के गोल्डन जुबली ईयर के कार्यक्रम में उन्हें ‘गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रेकार्ड’ की ओर से यह अलंकरण भेंट कर रहा हूँ।

डाॅ.मनीष विश्नोई
नेशनल हेड - भारत 
(गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रेकार्ड)
   

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