Thursday, 17 April 2014

कृत्रिम गहनें बन रहे जीविका की आशा...

परम पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के पावन मार्गदर्शन में परम शक्ति पीठ द्वारा उतराखण्ड की आपदा प्रभावित केदारघाटी में वहां की निवासी महिलाओं एवं युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य तेजी स चल रहा है। इसी क्रम मे  'नेशनल इस्टीचयूट ऑफ डिजाइन' अहमदाबाद की ओर से यहाँ 20 स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को आर्टिफीसियल ज्वैलरी(क्रोशिया) बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

स्वदेशी मोतियों और काँच के सुन्दर मनकों से बने ये  रंगीन गहने बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते है। संस्थान की प्रोफेसर श्रीमती नीलिमा जी की प्रेरणा से श्रीमती सीता बेंन चावडा एवं सुश्री चेतन अग्रवाल ने उत्तराखंड के 'वात्सल्य वोकेशनल टेनिंग सेण्टर' कोरखी (केदारनाथ मार्ग) पर इस प्रशिक्षण की विधिवत शुरुआत की। रोजगार की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

परम शक्ति पीठ के उत्तराखंड राहत अभियान प्रभारी श्री पुनीत गोयल के अनुसार प्रभावित क्षेत्रो की महिलाएं आथिंक दृश्टि से स्वावलंबी बन सके इसके लिए सस्था पूर्ण प्रयत्न कर रही है। ये प्रशिक्षित बहनें अगले तीन महीनो में केदारघाटी क्षेत्र की अन्य 150 बहनों को इस कला का प्रशिक्षण देंगी। इसके बाद इस क्षेत्र के एक बडे भाग में इस प्रकार के 150 महिला समूहों का गठन होगा जो इस कला मे पारंगत होकर इसे व्यवसाय के रूप मे अपना सकेंगी। 

आरंभ मे इसे सीखने के लिए लगने वाले व्यय का वहन परम शक्ति पीठ द्वारा किया जायेगा फिर आगे ये समूह अपनी स्वयं की आय से इस व्यवसाय को अपनी व्यवस्थानुसार संचालित कर लाभान्ति हो सकेंगे। इनके द्वारा बनाये गए इन कलात्मक गहनों की देशव्यापी बिक्री सुनिश्चित कर उत्तराखण्डवासियों को लाभ के अवसर देने का एक बडा प्रयत्न भी सस्था करेगी ताकि यह क्रार्यक्रम केवल प्रशिक्षण तक ही सीमित ना रहे बल्कि उसे समूह रोजगार के रूप मे अपनाकर यहाँ के निवासी समृद्ध हो सकें। वात्सल्य सेवा केन्द्र की सुश्री रचना जी ने बताया कि हम गाँव-गाँव तक जाकर महिलाओ को प्रेरित कर रहे है कि वे इस प्रशिक्षण में भाग लेकर आर्थिक स्वांवलबंन की दिशा मे  अग्रसर हो।